मुख्यतः ब्राह्मणों द्वारा मनाया जाने वाला अति प्राचीन व्रत-पर्व-उत्सव है जिसे वर्तमान मैं चारों वर्ण अति हर्षोल्लास से मनाते आयें हैं, मनाते रहेंगे, इस दिन श्रावणी (उपाकर्म) कर्म किया जाता है जिसमें सूर्योदय के समय ऋषि स्नान व देव, ऋषि. मनुष्य तर्पण उपरांत यजमानों को रक्षा सूत्र पहनाने व संपूर्ण वर्ष स्वयं के पहनने हेतु यज्ञोपवीत, जनेऊ, प्रतिष्ठा हेतु देव पूजन होम आदि कर्मकाण्ड कार्य करने उपरांत ब्राह्मण अपने यजमानों की सर्व कुशलता हेतु रक्षा सूत्र बंधन करते हैं तथा एक दूसरे कथा अनुसार स्त्रि अपने भाइयों को रक्षाबंधन करती हैं
इस बार 30 अगस्त 23 को काशीपुर मैं प्रातः 10:27 से रात्री 09:13 तक भद्रा आ जाने के कारण श्रावणी (उपाकर्म) संबंधी समस्त कर्मकांड तैत्तिरीय शाखा वालों को छोड़ कर समस्त यजुर्वदियों का श्रावणी कर्म दिनाँक 30 अगस्त 23 को पूर्णिमा काल में होंगे परंतु रक्षाबंधन अपनी अपनी सुविधानुसार/शास्त्रीय नियमानुसार 30 अगस्त 23 की रात्रि 09:13 से 31 अगस्त 2023 को प्रात: 08:00 बजे तक अवश्य करलेना सर्वोत्तम है.
विभिन्न मतों में अन्तर होने के उपरांत भी रक्षाबंधन उत्सव के रूप मैं 31 अगस्त को मनाया जाना आगे तक भी जारी रखा जा सकता है कितना शीघ्रता से आप इसे पूर्ण कर लेते हैं यह आपकी आपके, धर्म की, शास्त्रीय पूर्णतम गरिमामयी स्तिथि रहेगी.
#होली दाह/रक्षाबंधन भद्रा मैं करना परिवार व राष्ट्र को हानि कारक है