इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण की दी मंजूरी इसे हजारों श्रध्दालुओं का होगा लाभ…

Spread the love

इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुड़ी बड़ी ख़बर सामने आई है. मथुरा बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने का रास्ता साफ़ हो गया है. हाईकोर्ट ने सरकार को बांके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कॉरिडोर बनाए जाने का निर्देश दिया गया है. कोर्ट ने कहा कॉरिडोर निर्माण में जो अतिक्रमण हो उसे हटाया जाए. मंदिर के धन को हाईकोर्ट ने खर्च नही करने का निर्देश दिया गया है. कोर्ट ने कहा सरकार अपने स्तर से बजट जारी करके कॉरिडोर का निर्माण कराए. चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच ने दिया आदेश.मथुरा बांके बिहारी कॉरिडोर का काम काफी समय से अटका था. सरकार की कोशिश है कि काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की तरह मथुरा वृंदावन के रास्ते में हुए अतिक्रमण को हटाकर भव्य कॉरिडोर का निर्माण कराया जाए, ताकि यहां आने वाली लाखों भक्तों की भीड़ को आसानी से दर्शन मिल सके. मथुरा वृंदावन की पारंपरिक पहचान को बनाए रखते हुए इसे बड़ा आध्यात्मिक केंद्र बनाने की तैयारी है. इसमें एक हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की तैयारी है.

हालांकि सेवायत इसका तीखा विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि इस कॉरिडोर से मथुरा वृंदावन की सदियों पुरानी सांस्कृतिक पहचान खत्म हो जाएगी. उसकी तंग गलियों में बसी विरासत को चोट पहुंचेगी. इससे हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि मंदिर के पास जमा संपत्ति से ही इस कॉरिडोर को बनाया जा रहा है. हालांकि हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि कॉरिडोर के निर्माण में मंदिर की संपत्ति का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. लेकिन यहां भक्तों की सुविधा के लिए कॉरिडोर कानिर्माण किया जाना जरूरी है।

मथुरा-वृंदावन ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर की सरकारी योजना को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही कुंज गलियों से अतिक्रमण हटाने का आदेश भी दिया है। हालांकि कोर्ट ने मंदिर के बैंक खाते में जमा धन 262.50 करोड़ रुपए का कॉरिडोर बनाने में उपयोग करने की सरकार को परमिशन नहीं दी है। यह आदेश मुख्य जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर तथा जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अनंत कुमार शर्मा व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा:-

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार कानूनी प्रक्रिया के तहत दर्शन प्रभावित किए बगैर अपने धन से लोक व्यवस्था, जन स्वास्थ्य, सुरक्षा और जन सुविधा प्रदान करने का अपना दायित्व पूरा करें। अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन को भी कहा है कि किसी भी श्रद्धालु को दर्शन करने से प्रतिबंधित न करें। जिला प्रशासन आदेश का पालन सुनिश्चित कर अगली सुनवाई की तारीख 31 जनवरी 2024 को अपनी रिपोर्ट पेश करे। कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में मिला धार्मिक अधिकार पूर्ण नहीं है। यह मौलिक अधिकार कुछ हद तक लोक व्यवस्था के अधीन है।। कोर्ट ने कहा लोकहित का कार्य पंथ निरपेक्षता का क्रियाकलाप है।कोर्ट ने सरकार को कहा कि तकनीकी विशेषज्ञ की सहायता से गलियों का अतिक्रमण हटाकर कॉरिडोर योजना अमल में लाएं। दोबारा अतिक्रमण न हो, अगर अतिक्रमण होता है तो तुरंत कार्रवाई की जाए। वकील ने कहा कि एक बार अतिक्रमण हटाने के बाद इन गलियों में दोबारा अतिक्रमण न हो और मंदिर के पहुंच मार्गों पर कोई बाधा न पहुंचे, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा।ज्ञात हो कि हाईकोर्ट ने 8 नवंबर को इस मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार अपनी प्रस्तावित योजना के साथ आगे बढ़ सकती है, मगर यह भी तय करे कि दर्शनार्थियों को दर्शन में बाधा न आए। अनंत शर्मा, मधुमंगल दास और अन्य की ओर से 2022 में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि आम दिनों में मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या 40 से 50 हजार होती है। मगर, शनिवार-रविवार और छुट्टियों के दिन यह संख्या डेढ़ से ढाई लाख तक पहुंच जाती है।त्योहार और शुभ दिनों में मंदिर में ठाकुर जी के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की संख्या लगभग 5 लाख पहुंच जाती है। मंदिर तक पहुंचने की सड़कें बहुत संकरी और भीड़-भाड़ वाली हैं। लिहाजा, भारी भीड़ की वजह से आवाजाही में तमाम दिक्कतें होती हैं। वहीं गोस्वामियों की तरफ से याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की गई कि यह निजी मंदिर है। सरकार को इसके प्रबंधन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

Tags :

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *