उत्तराखंड क्षेत्र में सतह के नीचे बहुत तनाव पैदा हो रहा है, और तनाव को दूर करने के लिए एक ‘बड़ा भूकंप’ अनिवार्य है। भूकंप की तारीख और समय की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, और विनाश कई कारकों पर निर्भर करेगा जो एक भौगोलिक क्षेत्र से दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में भिन्न होते हैं।ये चेतावनी किसी बाबा की नहीं वरन् देश के साइंटिस्टों ने दी है। राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान में भूकंप विज्ञान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एन. राव ने उत्तराखंड में भी तुर्की जैसे बड़े भूकंप की चेतावनी जारी की है।वैज्ञानिक राव ने जो बताया है वह चिंतित करने वाली बात है। उनके अनुसार उत्तराखंड क्षेत्र में सतह के नीचे बहुत तनाव पैदा हो रहा है, और तनाव को दूर करने के लिए एक ‘बड़ा भूकंप’ अनिवार्य है।आखिर कैसे वैज्ञानिक ने किस आधार पर यह भविष्यवाणी की है। इसका खुलासा करते हुए डॉ एन राव ने कहा कि, ‘हमने उत्तराखंड पर केंद्रित हिमालयी क्षेत्र में लगभग 80 भूकंपीय स्टेशन स्थापित किए हैं। हम वास्तविक समय पर स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। हमारा डेटा दिखाता है कि तनाव बड़े पैमाने पर जमा हो रहा है।’ ‘हमारे पास क्षेत्र में जीपीएस नेटवर्क हैं। जीपीएस बिंदु चल रहे हैं, जो सतह के नीचे हो रहे परिवर्तनों का संकेत दे रहे हैं।’राव ने कहा कि, पृथ्वी के साथ क्या हो रहा है, यह निर्धारित करने के लिए वेरियोमेट्रिक जीपीएस डाटा प्रोसेसिंग विश्वसनीय तरीकों में से एक है। राव ने जोर देकर कहा कि, ‘हम सटीक समय और तारीख की भविष्यवाणी नहीं कर सकते, लेकिन उत्तराखंड में कभी भी भारी भूकंप आ सकता है।’ वेरियोमीटर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में भिन्नता को मापते हैं।