नयी दिल्ली। सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जिस शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है उस मामले में दायर चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम नहीं है। तो सवाल उठता है कि आखिर मनीष सिसोदिया गिरफ्तार क्यों हुये?दरअसल मनीष सिसोदिया पर कमीशन लेकर शराब की दुकानों का लाइसेंस लेने वालों को अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप है। आपको बता दें कि कोविड महामारी का हवाला देकर शराब कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपये की निविदा लाइसेंस फीस माफ की गई थी। आरोप यह लगाया गया है कि जब यह फैसला लिया गया तो कैबिनेट को इसकी जानकारी नहीं दी गई और न ही उपराज्यपाल से इसकी अनुमति ली गई। ऐसे में यह माना गया कि मनीष सिसोदिया ने बगैर कमीशन लिये ऐसा फैसला नहीं किया होगा। अनुमान लगाया गया कि बिना रिश्वत और कमीशन के बिना मनीष सिसोदिया ने यह निविदा लाइसेंस फीस माफ नहीं की होगी।अब आपको बताते है कि वास्तव में शराब नीति का पूरा मामला आखिर क्या है? सिसौदिया पर लगे आरोप और उनके खिलाफ हुई कार्रवाई के बारे में विस्तार से आपको बताते है।दिल्ली सरकार ने 2021में जो शराब नीति बनाई उसका उद्देश्य शराब माफिया और नकली शराब पर अंकुश लगाना था।इस नई नीति के तहत दिल्ली सरकार ने अपनी सभी ठेके बंद कर दिए थे और शहर में केवल शराब के निजी ठेके और दुकानें रह गई थीं। इन दुकानों के लिए दोबारा से नए लाइसेंस जारी किए गए थे। साथ ही सरकार ने उन्हें छूट पर शराब बेचने की अनुमति भी दी थी।दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को मई, 2022 में आबकारी विभाग से नई शराब नीति में बदलाव के लिए जो प्रस्ताव मिला उसका जब विश्लेषण किया गया तो उसमें बहुत सी अनियमितता और खामियां मिलीं। तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना को रिपोर्ट भेजी गई।जिस पर उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश करते हुए शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया को जिम्मेदार ठहराया।सिसोदिया पर जो आरोप लगाये गये उनमें एयरपोर्ट पर शराब बेचने का लाइसेंस प्राप्त करने वाले लाइसेंसधारकों को 30 करोड़ रुपये रिफंड करने के साथ लाइसेंसधारकों द्वारा एयरपोर्ट प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं हासिल न कर पाना भी था। आरोप है कि पैसा रिफंड करने की बजाय जब्त किया जाना चाहिए था। इसके अलावा बिना अनुमति के विदेशी बीयर पर 50 रुपये प्रति बॉक्स का आयात शुल्क भी हटा दिया गया, जिससे विदेशी बीयर सस्ती हो गईं और राजकोष को नुकसान हुआ।मामले में विवाद जब बढ़ गया तो 28 जुलाई को मनीष सिसोदिया ने अगले 6 महीने के लिए दोबारा पुरानी शराब नीति लागू करने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि नई शराब नीति में विसंगतियों को दूर कर इसे फिर से लाया जाएगा।सीबीआई ने 17 अगस्त, 2022 को एफ आई आर दर्ज की थी, जिसमें मनीष सिसोदिया समेत 3 अधिकारियों और 12 लोगों को आरोपी बनाया गया। बाद में सीबीआई ने ने सिसोदिया समेत आप के कई नेताओं के घर पर छापा मारा।दिल्ली समेत 6 राज्यों की 20 जगहों पर छापे मारे गए। 22 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय ने भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।30 अगस्त को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के बैंक लॉकर की तलाशी ली। हालांकि इसके बाद सिसोदिया ने दावा किया था कि सीबीआई को कुछ नहीं मिला और उन्हें क्लीन चिट दे दी गई। सितंबर के शुरुआती 2 हफ्तों में ईडी ने इस मामले में मुंबई, तेलंगाना, पंजाब समेत 35 ठिकानों पर छापे मारे।19 सितंबर को आप विधायक दुर्गेश पाठक से लगातार 10 घंटे पूछताछ की गई। 27 सितंबर को आप के विजय नायर को गिरफ्तार किया गया।17 अक्टूबर को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया से 9 घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान सिसोदिया ने आरोप लगाया कि उन पर आप छोड़ भाजपा में शामिल होने का दबाव डाला जा रहा है।25 नवंबर को सीबीआई ने जो चार्जशीट दाखिल की, जिसमें कुल 7 लोग आरोपी बनाए गए। चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम नहीं था।इस साल 15 जनवरी को सीबीआई ने सिसोदिया के दफ्तर से कंप्यूटर जब्त किया। 18 फरवरी को सिसोदिया को समन जारी करते हुए एजेंसी ने 19 फरवरी को पेश होने को कहा । व्यस्तता का हवाला देते हुए सिसोदिया ने कहा था कि वे 2023-24 के लिए दिल्ली का बजट बनाने में व्यस्त हैं और एक हफ्ते की मोहलत मांगी।इसके बाद ने उन्हें नया समन जारी कर 26 फरवरी को पूछताछ के लिए बुलाया और फिर गिरफ्तार कर लिया ।